जाने कौन था ----अपना अक्स दिखाया नही .
शमा जलाई मगर रौशनी मे आया नही
वो एक शख्स था जिस से शिकायतें थीं बोहत
वही अज़ीज़ था ,हां उस से ही शिकयत थीं बोहत
वो जब मिलाता तो दिल को दुखा देता था
वो अपने होने की हर रोज़ के सजा देता था
वो यूँ मिलाता क जैसै कभी मिला ही न हो
इक तज्जलि से सदियों का मज़ा देता था
Arif . The Aligarian
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